क्या रोज़ रागी खा सकते हैं? सद्गुरु का सुझाव – इसे रोज खाना चाहिए!
आपने शायद सुना होगा कि रागी को “सुपर अनाज” कहा जाता है। सद्गुरु, जो विश्व भर में अपने आध्यात्मिक और स्वास्थ्य से जुड़े विचारों के लिए प्रसिद्ध हैं, उन्होंने हाल ही में लोगों को रागी को अपने दैनिक आहार में शामिल करने की सलाह दी है। लेकिन क्या इसे रोज खाना सुरक्षित है? क्या यह सच में सेहत के लिए लाभकारी है? इन सवालों का जवाब खोजने के लिए हमने आहार विशेषज्ञ रक्षिता मेहरा से विस्तार से बात की।
रागी, जिसे अंग्रेज़ी में Finger Millet कहा जाता है, एक प्राचीन अनाज है जो मुख्यतः दक्षिण भारत में उपयोग किया जाता है। इसमें कैल्शियम, प्रोटीन, फाइबर, आयरन, पोटेशियम और फॉस्फोरस जैसे आवश्यक पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। यही वजह है कि इसे कई लोग ताकत बढ़ाने वाला, हड्डियों के लिए लाभकारी और पाचन के लिए अच्छा मानते हैं। फिर भी, इसे रोजाना खाना चाहिए या नहीं – यह सवाल हाल ही में ज़्यादा चर्चा में आया क्योंकि सद्गुरु ने इसका समर्थन किया है।
सद्गुरु के विचार – रागी क्यों है ‘सुपर अनाज’?
सद्गुरु ने अपने विचारों में कहा है कि रागी को रोज़ाना किसी न किसी रूप में अपने भोजन में शामिल करना चाहिए। उनके अनुसार:
“रागी में कैल्शियम की मात्रा अन्य अनाजों की तुलना में 5 से 30 गुना अधिक होती है। इसमें फॉस्फोरस, पोटेशियम, आयरन जैसे खनिज तत्व भी होते हैं जो हड्डियों को मजबूत बनाने और शरीर को संतुलित रखने में मदद करते हैं।”
ईशा फाउंडेशन के ब्लॉग में भी बताया गया है कि रागी रक्त शर्करा नियंत्रण में मदद करता है, इसमें एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, और यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। इसी कारण सद्गुरु ने इसे दैनिक आहार में शामिल करने की सलाह दी है।
क्या हर किसी के लिए रोज़ रागी खाना सही है?
रक्षिता मेहरा बताती हैं कि स्वस्थ व्यक्ति के लिए रागी का सेवन उचित मात्रा में और विविध रूपों में करना सुरक्षित है। लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया:
✔ रागी को संतुलित आहार का हिस्सा बनाना चाहिए, पूरी डाइट का आधार नहीं।
✔ अन्य अनाज, दालें, सब्जियाँ, प्रोटीन और स्वस्थ वसा के साथ इसे संतुलित करके खाना चाहिए।
✔ जिन लोगों को किडनी की समस्या, पाचन संबंधी दिक्कतें, या अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ हैं, उन्हें इसे रोज खाने से पहले डॉक्टर या पोषण विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।
रक्षिता मेहरा की विशेषज्ञ सलाह
हमने रक्षिता मेहरा से पूछा कि क्या रोज रागी खाना सुरक्षित है। उन्होंने कहा:
✔ “रागी कैल्शियम का बेहतरीन स्रोत है, जो हड्डियों की मजबूती के लिए उपयोगी है।”
✔ “इसमें मौजूद फाइबर पाचन को बेहतर बनाता है।”
✔ “जटिल कार्बोहाइड्रेट रक्त शर्करा में अचानक उतार-चढ़ाव से बचाते हैं।”
लेकिन उन्होंने सावधान भी किया:
❗ “सिर्फ रागी पर निर्भर रहना सही नहीं है। इससे जरूरी विटामिन, प्रोटीन और स्वस्थ वसा की कमी हो सकती है।”
❗ “जिन्हें किडनी संबंधी समस्या हो, या जिनकी पाचन प्रणाली संवेदनशील हो, उन्हें सीमित मात्रा में ही इसका सेवन करना चाहिए।”
❗ “बहुत ज्यादा रागी खाने से पेट फूल सकता है और भारीपन महसूस हो सकता है, खासकर अगर शरीर हाई-फाइबर वाले भोजन का आदी नहीं है।”
रक्षिता मेहरा सुझाव देती हैं कि रागी को अन्य अनाज जैसे बाजरा, ज्वार, या गेहूँ के साथ बारी-बारी से शामिल करें। साथ में फलियाँ, ताज़ी सब्जियाँ और फलों का सेवन करें ताकि संतुलित पोषण मिल सके। खाना पकाने की ऐसी विधियाँ अपनाएँ जो पोषक तत्वों को सुरक्षित रखें।
अंतिम निष्कर्ष – रागी रोज़ खाना चाहिए, लेकिन समझदारी से!
रागी सिर्फ एक परंपरागत अनाज नहीं है; यह पोषण का खजाना है। हड्डियों की मजबूती, रक्त शर्करा नियंत्रण, पाचन सुधार और ऊर्जा बढ़ाने में इसका योगदान साबित हुआ है। सद्गुरु द्वारा रोज़ाना रागी खाने की सलाह लोगों का ध्यान इस अनाज की ओर आकर्षित कर रही है।
हालाँकि, हर व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति अलग होती है। इसलिए रागी का सेवन संतुलन और संयम के साथ करना चाहिए। यदि आप इसे अपने आहार में शामिल करना चाहते हैं, तो सही मात्रा में, विविध भोजन के साथ, और विशेषज्ञों की सलाह लेकर ही इसे अपनाएँ।
सही तरीके से रागी का उपयोग आपके जीवन को स्वस्थ, संतुलित और ऊर्जावान बना सकता है। सद्गुरु का संदेश स्पष्ट है – “रागी को रोज़ किसी न किसी रूप में खाइए, लेकिन समझदारी से।”
अगर आप भी रागी को अपने भोजन में शामिल करना चाहते हैं तो आज से ही संतुलित तरीके से शुरू करें!
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