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ईरान इजरायल संघर्ष तेल
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ईरान इजरायल संघर्षः 5 बड़ी वजहें जो इस जंग को और खतरनाक बना रही हैं

ईरान इजरायल संघर्ष इन दोनों देशों के बीच में अब यहां चौंकाने इस युद्ध में सामने आ गया वाली बात है कि अमेरिका भी सामने आ गया है। ऐसे में हालात यह बन रहे हैं, अंदाजा लगाया जा सकता है अब कुछ ही दिनों में कच्चे तेल की कीमतें काफी बढ़ सकती है। आईए जानते हैं भारत पर कैसा असर होगा….

ईरान इजरायल संघर्ष तेल
ईरान इजरायल संघर्ष तेल

ईरान इजरायल संघर्ष इन दो देशों के बीच पर लड़ाई हो रही है इसी बीच अमेरिका भी इसमें शामिल हो रहा है तीन देशों में युद्ध छिड़ चुकी है। इन सभी की वजह भारत में कच्चे तेल की कीमत काफी ज्यादा तेजी से बढ़ रही है। इस वजह से तेल की ऐसी बाजार सप्लाई से बहुत ज्यादा ऊपर नीचे हो चुका है। भारत देश में इस अच्छे मौके का बेहतरीन रोज फायदा उठाकर कच्चे तेल काफी ज्यादा जल्दी में खरीद रहा है….

केप्लर (Kpler) कंपनी यहां से काफी ज्यादा अनुसार, भारत जून यहां से रूस से करीब हर दिन 2 से 2.2 मिलियन बैरल इतना ज्यादा कच्चा तेल खरीद सकते हैं। ईरान इजरायल संघर्ष यह अभी तक देखा जाए तो पिछले 2 साल से लगभग अभी के टाइम पर सबसे ज्यादा हो सकता है। यह कच्चे तेल कीकीमतें जैसे की इराक, सऊदी अरब ऐसे देशों से यूएई और कुवैत इन सभी की कच्चे तेल को मिलकर भी सबसे ज्यादा खरीदे जाने वाले से भी ज्यादा है।

ईरान इजरायल संघर्ष भारत में मैं मई इस देश रूस से करीब करीब हर दिन 1.96 मिलियन बैरल कच्चे तेल खरीदते हैं। अमेरिका से भी भारत पर कच्चे तेल आते हैं। जून में भारत अमेरिका यहां से हर एक दिन 439,000 बैरल तेल खरीदा जाता है। मई इसी समय हर दिन का आंकड़ा लगाया 280,000 बैरल प्रति हर दिन आता था। केप्लर के मुताबिक इस पूरे महीने में कच्चे तेल की लगभग 2 मिलियन बैरल प्रति दिन इतना बना रहेगा। यह तो कुछ पिछले महीने से थोड़ा काम है। 

ईरान इजरायल संघर्ष डेली कच्चे तेल की कितना आयात

ईरान इजरायल संघर्ष भारत सबसे बड़ा तीसरा कच्चे तेल की आयत और इसी और सबसे बड़ा उपभोक्ता यह देश है। भारत हर दिन डेली लगभग टोटल 5.1 मिलियन बैरल कच्चा तेल कई विदेश से तेल खरीदते हैं। इस तेल को खरीद के कच्चे तेलों को रिफाइंड करते हुए इसे पेट्रोल डीजल जैसे ईंधन निकाला जाता है। 

भारत पहले मिडिल ईस्ट सबसे ज्यादा तेल यहां से आता था। ईरान इजरायल संघर्ष फिर उसके बाद फरवरी 2022 से यूक्रेन पर रूस के दौरान बड़े हमले के दौरान ऐसे युद्ध में फिर भारत में शुरू बहुत ज्यादा खरीदना शुरू कर दिया। ऐसा करने का रीजन और ऐसा हुआ इसलिए की कई पश्चिमी देशों ने रूस के ऊपर कई पवन दिया लगा दी थी। इस रीज़न से रूस शहर में तेलों का कीमत काफी सस्ता हो गया था। रूस में तेल सस्ता होने की वजह से भारत में देश के लिए बहुत ज्यादा मात्रा में तेल खरीदा अभी भी खरीदते हैं। पहले के दिनों में भारत के आयात में रूसी तेल हिस्सेदारी 1% से भी बहुत ज्यादा कम थी। यह हिस्सेदारी पर अब यहां से बढ़कर 40-44% तक पहुंच गया है। 

ईरान के ऊपर हमले का कितना असर 

ईरान इजरायल संघर्ष मिडिल ईस्ट में यह युद्ध का असर अभी तक कच्चे तेल की कीमतों पर असर नहीं हुआ है। यहां जहाज के आवाजाही के आसार पर देखा जा सकता है, मिडिल ईस्ट कच्चे तेल की कीमतें काम हो सकती है। 

 भारत के रणनीति चेंज करना पड़ सकता है 

सुमित रितोलिया उनके इस तरीके के अनुसार से भारत पर एक ऐसा असर पड़ रहा है, शिप मालिक खाली इस टैंकर को खाड़ी में भेजने बहुत ज्यादा डर रहे हैं।ईरान इजरायल संघर्ष ऐसे इस जहाज की घटनाएं करीब करीब संख्या 69 से घटकर सिर्फ 40 रह इस तरीके से कम हो चुकी है। ओमान की खाड़ी से मध्य मध्यापुर जाते हुए खाड़ी MEG ईश्वर जाते हुए जहाज के सिग्नल भी आधे से भी काम हो चुके हैं। इससे अंदाजा लगा सकते हैं कियह MEG से तेल बड़ी सप्लाई आधी हो चुकी है। भाई समय भारत को कुछ असर कर सकता है और इससे रणनीति चेंज करनी पड़ सकते हैं।

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